निरीक्षण के नाम पर महज की जाती है खाना-पूर्ति, नशे के कारोबारी के हौंसले बुलंद

गोण्डा। ड्रग इंस्पेक्टर के संरक्षण में जिले में बड़े पैमाने पर नशे का कारोबार फल फूल रहा है। निरीक्षण के नाम पर महज खाना-पूर्ति की जाती है। बता दें कि चार दिन पहले मेडिकल स्टोर पर नशे की दवा लेते हुये वीडियो वायरल हुआ था। जब लोगों ने देखा तो पुलिस को सूचना दी लेकिन पुलिस के पहुंचते ही मेडिकल संचालक मेडिकल स्टोर बन्द कर भाग गया था और उसकी सूचना लोगो ने ड्रग इंस्पेक्टर को दिया था तो उनका जवाब गैर जिम्मेदाराना था। जब इसकी खबर समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई कि मेडिकल स्टोर पर खुलेआम हो रहा नशे का कारोबार, जिम्मेदार अधिकारी है मौन शीर्षक जब अधिकारियो के संज्ञान में आया और मामले का संज्ञान कमिश्नर ने लिया तो ड्रग इंस्पेक्टर रजिया ने मौके पर पहुंचकर केवल खानापूर्ति करके और इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को देते हुए बताया की नशे की कोई दवा मौके पर नही मिली और जो कमी पाई गई उसका हमने नोटिस दिया है और जबाब मांगा है। अब सवाल यह उठता है कि जब सभी लोगो को पता चल गया कि जांच होने वाली है तो वह नशे का दवा अपने मेडिकल स्टोर पर रखेगा। जब इस मामले को लेकर जब ड्रग इंस्पेक्टर से पूछा गया तो उनका जबाब था कि हम आज मौके पर गए तो और जो हमको कमी बेशी मिला उसकी जानकारी हमने अधिकारियों को और सूचना विभाग में भेज दिया। जब ड्रग इंस्पेक्टर से यह पूंछा गया कि वायरल वीडियो और उसके संबंध में शिकायतकर्ता से आपने पूंछताछ किया तो इस्पेक्टर महोदया ने कहा कि मुझे किसी से कुछ पूंछने की जरुरत नही है,हमे जो करना था किया और फोन काट दिया। इससे क्या प्रतीत होता है कि जो इंस्पेक्टर महोदया कह रही है वही सही है। वही नाम न छापने की शर्त पर एक मेडिकल स्टोर के संचालक ने बताया कि मेडिकल स्टोर पर छापे की सूचना पहले ही मिल जाती है, जब उससे पूंछा गया कि कैसे तो बताया आपको क्या बतायें,आपको तो सब मालूम है हम क्या बतायें। संचालकों को पूर्व सूचना देकर जब नशीली दवाएं पहले ही हटवा दी जाती हैं तो मौके पर नशीली दवाएं कैसे मिलेंगी। ऐसे में गंभीर सवाल यह उठता है कि आखिर नशे के सौदागर और ड्रग इंस्पेक्टर की सांठ-गांठ से हो रहा यह नशे का अवैध कारोबार कब तक चलेगा और लोगों के जीवन से खिलवाड़ कब तक होता रहेगा?

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