पत्रकार-इसरत हुसैन
जौनपुर। शहरी इलाके का नगर पालिका परिषद इन दोनों अधिशासी अधिकारी और ठेकेदार को लेकर सुर्खियों में आ गया है। नगर पालिका के कर्मचारी और ठेकेदार द्वारा आए दिन एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का लगातार चल रहा है। कारण है ठेकेदार रामानंद गुप्ता ने भ्रष्टाचार निवारण संगठन वाराणसी को 5 अप्रैल 2024 को अपने किए गए कामों का भुगतान मांगा तो अधिशासी अधिकारी समेत उनके बाबू द्वारा प्रतिशत के हिसाब से कमीशन मांगा जाने लगा था जिसकी रिपोर्ट दर्ज कर भ्रष्टाचार निवारण की टीम ने छापेमारी किया जिसमें लिपिक समीर दो लोग रिश्वत लेते समय रंगे हाथ गिरफ्तार किए गए थे। उसे समय अधिशासी अधिकारी पवन कुमार मौका देखकर फरार हो गए थें। बाद में अधिशासी अधिकारी पवन कुमार उच्च न्यायालय से अरेस्ट स्टेट पुणे नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी की कुर्सी पर विराजमान हो गए। अब रामानंद गुप्ता ठेकेदार का आरोप है कि नगर पालिका के कुछ लोग अधिशासी अधिकारी के सह उनके द्वारा किए गए कामों का पेमेंट रोक दिया गया जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री समेत कई लोगों को लिखित तौर पर दी गई। कभी नगरपालिका के लिपिक द्वारा रामानंद के खिलाफ प्रार्थना पर दिया जा रहा है। तो कभी रामानंद द्वारानगर पालिका के खिलाफ प्रार्थना पत्र दिया जा रहा है। ऐसा करने से आम जनमानस का काम बाधित होते दिखाई दे रहा है। हाल ही में रामानंद द्वारा जिलाधिकारी को दिए गए प्रार्थना पत्र दिया गया था जिसमें जवाब में नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी समेत तीन जिम्मेदार लोगों ने यह लिखित दिया कि इनके द्वारा वार्ता नहीं की जा रही है जिसके कारण इनका पेमेंट रुका हुआ है। 25 सितंबर को जब रामानंद वार्ता करने गए तो उनके खिलाफ कोतवाली में प्रार्थना पत्र दे दिया गया ऐसा रामानंद का भी कथन है। ठेकेदार भ्रष्टाचार निवारण संगठन वाराणसी में प्रार्थना पत्र देकर कार्यवाही करना अब काफी महंगा पड़ रहा है। दूसरी तरफ यह भी चर्चा है कि जीत भ्रष्टाचार में अधिशासी अधिकारी पवन कुमार नामजद किए गए थे ऐसे में वह पुनः अपनी कुर्सी पर कैसे विराजमान हैं। फिलहाल अधिशासी और नगर पालिका परिषद के बीच चल रहे विवाद से आम जनता का नुकसान हो रहा है जों चर्चा का विषय बना हुआ है।