चकबंदी आयुक्त के आदेश पर कारोबारी अंसार अहमद के खिलाफ दर्ज होगी जल्द एफआईआर
फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 35 बीघा जमीन पर किया जा रहा हैं कब्जे का प्रयास
जौनपुर, खेतासराय क्षेत्र के अंतर्गत रहने वाले सिंगापुर के एक बड़े कारोबारी अंसार अहमद द्वारा जौनपुर में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दूसरे की प्रापर्टी कब्जा करने के मामले में फंस गए हैं बताया जा रहा है की जनपद जौनपुर के मानीकलां ग्राम भरेठी के रहने वाले अंसार अहमद ने फर्जी दस्तावेजो को तैयार करा के तकरीबन 35 बीघा जमीन को कब्जा करने का प्रयास उनके माध्यम से किया गया था जिस जमीन पर माननीय उच्च न्यायालय के आदेशनुसार इसकी जांच चकबंदी बन्दोबस्त अधिकारी की देखरेख में बनी तीन सदस्यीयो की जांच टीम द्वारा कराई गईं जिसमे जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है की फर्जी दस्तावेज़ को तैयार कराकर 35 बीघा जमीन हड़पने का प्रयास इस सिंगापुर के मशहूर एक बड़े कारोबार के मालिक अंसार अहमद द्वारा फर्जी दस्तावेज के आधार पर किया गया था जांच के आधार पर जांच टीम ने साफ साफ अपनी रिपोर्ट में दर्शाया है की फर्जी तरह से प्रापर्टी पर कब्जा करने के प्रयास में प्रयास करने वालों के खिलाफ होना चाहिए और मुकदमा दर्ज करने की संस्तुति भी उनके द्रारा प्रदान की गई है !
जांच कमेटी ने पूरे मामले की जानकारी जिला प्रशासन को दे दिया है साथ ही प्रदेश के चकबंदी आयुक्त ने इस सम्बन्ध में गत चार नवंबर को पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुये फर्जीवाडा करने वालों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कर के विधिक कार्रवाई करने का आदेश जौनपुर के जिलाधिकारी को दिया. लेकिन अभी तक इस मामले में जिलाधिकारी द्वारा दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराई है.
चर्चा है कि जिलाधिकारी इस मामले में सुस्ती बरत रहे हैं जबकि इस मामले में उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आदेश है, उसके बवाजूद भी भ्रष्टाचार के इस मामले में त्वरित कार्रवाई ही जाए, ताकि फिर कोई व्यक्ति इस तरह का फर्जीवाड़ा करने की कोशिश ना करे. इसके बाद भी जनपद में 35 बीघा जमीन कब्जा करने के सम्बन्ध में जांच टीम द्वारा दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ अभी तक रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई.
देखा जाए तो जौनपुर में यह भूमि घोटाले की चर्चा आम है इस भूमि घोटाले को लेकर चकबंदी विभाग के अधिकारियों का भी कहना है कि जौनपुर के खेतासराय थाना क्षेत्र के मानीकला गांव में अनवारुद्दीन खान और उनके परिवार के लोगों की तकरीबन 35 से 40 बीघा जमीन है इस भूमि पर परिवार के लोग काफ़ी वर्षो से खेती-बाड़ी करते चले आ रहे हैं लेकिन इस भूमि पर जौनपुर के ग्राम भरेठी गांव के रहने वाले अंसार अहमद की निगाह बहुत दिनों से जमीन पर थीं मौका देखते उन्होने गुपचुप तरीके से उक्त जमीन के फर्जी कागजात व कूटरचित दस्तावेज के आधार पर तैयार किया गया!
अंसार अहमद और उनका परिवार सिंगापुर के एक बड़े कारोबारी हैं बताया जाता है कि उनके द्वारा धनबल और बाहुबल का प्रयोग करके लेखपाल व चकबंदी कर्मियों की मिलीभगत से 21 दिसंबर 1993 को उप संचालक चकबंदी(डीडीसी) न्यायालय जौनपुर का एक फर्जी मुकदमे का आदेश तैयार करके उसी आदेश के आधार पर इन लोगों ने उच्च न्यायालय से जमीन पर कब्जे पाने और उसकी पैमाइश कराने का आदेश भी करा लिया.जब मामले की जानकारी जमीन पर खेती कर रहे अनवारुद्दीन खान को हुई सूत्रों से हुई तो उन्होंने जांच पड़ताल अपने स्तर से शुरू कराई और उच्च न्यायालय से गुहार लगाई और उसके बाद
अनवारुद्दीन खान ने अपनी जमीन के पुराने दस्तावेजों को न्यायालय में दाखिल करते हुए न्याय की मांग की. उच्च न्यायालय ने दस्तावेजों की हकीकत को देखते हुए गत 5 जुलाई 2024 को पूर्व में दिए गए कब्जा संबंधी आदेश पर स्टे लगा दिया था साथ ही साथ उच्च न्यायालय ने बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी जौनपुर को आदेश दिया कि तीन माह के अंदर दोनो पक्षों के दस्तावेजों की जांच कर के रिपोर्ट दें उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई. और कमेटी ने दोनों पक्षों से जमीन के दस्तावेज लिए और अभिलेखागार व मिसिलबन्द से दस्तावेजों का मिलान शुरू किया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने निकले आए जिस पर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट के मुताबिक अंसार अहमद द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी दस्तावेज को कूटरचित व फर्जी पाए गए
जाने की रिपोर्ट कमेटी ने 24 सितंबर को बंदोबस्त चकबंदी अधिकारी जौनपुर को सौप दिया जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया कि अंसार अहमद को किसी भी कीमत पर जमीन पर कब्जा न कराया जाए, क्योंकि उनके सभी दस्तावेज कूटरचित व फर्जी साबित हुआ हैं. ऐसे में बंदोबस्त चकबंदी अधिकारी जौनपुर ने पूरी रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद एक बार फिर अंसार अहमद को अपना पक्ष रखने का अवसर दे दिया है.
अंसार अहमद ने अपने अधिवक्ता के जरिए दोबारा उन्हीं दस्तावेजों (साक्ष्यो) को दाखिल किया जिन्हें पुर्व में तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने कूटरचित व फर्जी बताया था. ऐसे में बंदोबस्त चकबंदी अधिकारी ने अंसार अहमद की सभी दलीलों को खारिज करते हुए अनवारुद्दीन खान के पक्ष में आदेश जारी किया है! चकसंख्या 116 पर अंकित आदेश 21 दिसंबर 1993 में की गई अमलदरामद को तत्कालीन चकबंदी लेखपाल प्रकरण में संलिप्तता को बताते हुए लेखपाल सहित विभागीय कर्मचारियों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने और विभागीय कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया दिया गया है
साथ ही साथ इस प्रकरण में चकबंदी आयुक्त भानुचंद्र गोस्वामी ने भी 4 नवंबर को जौनपुर मे एक समीक्षा बैठक की. इस बैठक में ग्राम मानीकला मे जमीन कब्जाने वाले मामले में हुए फर्जी वाडे पर जिलाधिकारी (डीएम) को रिपोर्ट दर्ज कराने व हुए विधिक कार्रवाई का करने आदेश दिया है, लेकिन 5 दिन बीत जाने के बाद भी आज तक जिलाधिकारी द्वारा दोषियो के खिलाफ न तो एफआईआर कराई न कोई विधिक कारवाई कराई गईं जिलाधिकारी द्वारा इस मामले में दिखाई जा रही सुस्ती को लेकर अब यह कहा जा रहा है कि कूट रचना करने वाले धनबल का उपयोग करके कारवाई न करने का दबाव जिला प्रशासन पर बना रहे हैं. फिलहाल दोषियो के खिलाफ कोई कारवाई न होने के चलते इस मामले में कभी भी कोई अप्रिय घटना घटित होने का अंदेशा जताया जा रहा है. इसके चलते ही इस मामले में मुख्यमंत्री सचिवालय के अफसरों को जौनपुर के इस भूमि घोटाले के बारे जानकारी दी गई है, ताकि इस मामले में दोषियों के खिलाफ त्वरित एक्शन लिया जाए